ॐ केतुं कृण्वन्निति मन्त्रस्य मधुच्छन्द ऋषिः गायत्री
छन्दः केतुर्देवता केतु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।।
ब्रह्मणः कुलसंभूतम् विष्णुलोकभयावहम् ।
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे । समुषद्भिरजायथाः ।।
पलाशधूम्रसङ्काशं तारकाग्रहमस्तकम् ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं केतुमावाहयाम्यहम् ।।
ॐ भूर्भुवःस्वः अन्तरवेदिसमुद्भव जैमिनिगोत्र धूम्रवर्ण भो
केतो ! इहागच्छ, इह तिष्ठ ॐ केतवे नमः, केतुमावाहयामि स्थापयामि
।
अत्रवाय विद्महे कपोतवाहनाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात ।
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः १७०००
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रुद्राभिषेक इत्यादि स्वयं के लिए अथवा अपने प्रियजनों के लिए करवाने के लिए
निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप स्वयं उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
यदि किसी कारण स्वयं उपस्थित न हो सके
तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
1, आपका पता - मकान न०,
गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य
आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया जाएगा)
2, आपका गोत्र ।
3, आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम ।
4, आपका whatsapp नम्बर ।
5, आपकी जन्म कुंडली या जन्म समय, जन्म
तारीख, जन्म स्थान ।
6, आपकी फोटो ।
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