Sunday, December 20, 2015

राहु –


ॐ कया नश्चित्रेति मन्त्रस्य वामदेव ऋषिः गायत्री छन्दः राहुर्देवता राहु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।।

सिंहिकासुत राहवे नमः

चक्रेण छिन्नमूर्द्धानं विष्णुना च निरीक्षितम्
सैंहिकेयं    महाकायं   राहुमावाहयाम्यहम् ।।

ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः सखा कया शचिष्ठया वृता

अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्
सिंहिकागर्भसम्भूतं  राहुमावाहयाम्यम् ।।

ॐ भूर्भुवःस्वः राठिनपुरोद्भव पैठीनसगोत्र कृष्णवर्ण भो राहो ! इहागच्छ, इह तिष्ठ ॐ राहवे नमः, राहुमावाहयामि स्थापयामि

नीलवर्णाय विद्महे सैंहिकेयाय धीमहि तन्नः राहु प्रचोदयात

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः १८०००





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