Tuesday, May 24, 2016

राघवयादवीयम् अनुलोम विलोम

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।

Saturday, May 21, 2016

आधुनिक विज्ञान एवं सनातन धर्मं

"माँमैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूं। विकास का सिद्धांतचार्ल्स डार्विनआपने उसके बारे में सुना है?" बेटे ने पूछा।
उसकी मां उसके पास बैठी और मुस्कुराकर बोली, “मैं डार्विन के बारे में जानती हूंबेटा। मैं यह भी जानती हूं कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज कीवह वास्तव में भारत के लिए बहुत पुरानी खबर है।

विधिरहित यज्ञ शत्रु के समान है


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"अन्नहीनो दहेद् राष्ट्रं मन्त्रहीनश्च ऋत्विजः ।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः ।।" (चाणक्य-नीतिः---08.22)
अर्थः----अन्नहीन यज्ञ राष्ट्र कोमन्त्रहीन यज्ञ ऋत्विज् (पुरोहित) को  और दानहीन यज्ञ यजमान को भस्म कर देता है । संसार में (विधिहीन) यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं है ।

भक्त रघु केवट

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महातीर्थ श्री जगन्नाथ पुरी के समीप एक ग्राम पिपलीचटी था । इसी ग्राम में रघु केवट नाम का मछुवारा रहता था , पत्नी तथा वृद्धा माता थीं । परिवार छोटा अवश्य था परंतु गरीबी से परिपूर्ण था दारिद्र जीवन-यापन हो रहा था ।
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रघु केवट पूर्वजन्म के संस्कारों से सहृदय था वह जीवन यापन के लिए मछली पकड़ कर बेचने का जातीय कार्य करता परंतु मछलियों को तड़पते देख कर वह बहुत दुखी होता था । 
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रामायण कथा का एक अंश, , जिससे हमे सीख मिलती है "एहसास" की...


श्री रामलक्ष्मण एवम् सीतामैया चित्रकूट पर्वत की ओर जा रहे थे,
राह बहुत पथरीली और कंटीली थी !
की यकायक श्री राम के चरणों मे कांटा चुभ गया !
श्रीराम रूष्ट या क्रोधित नहीं हुएबल्कि हाथ जोड़कर धरती माता से अनुरोध करने लगे !

अजपाजप

मानव शरीर अत्यंत महत्वपूर्ण और दुर्लभ है । यदि शास्त्र के अनुसार इसका उपयोग किया जाए तो मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त कर सकता है । इसके लिए शास्त्रो मे बहुत से साधन बतलाए गए हैं । उनमे सबसे सुगम साधन है- ' अजपाजप  '  । इस साधन से पता चलता है कि जीव पर भगवान की कितनी असीम अनुकंपा है । ' अजपाजप ' का संकल्प कर लेने पर 24 घंटो मे एक क्षण भी  व्यर्थ नही हो पाता - चाहे हम जागते हो , स्वप्न मे हों या सुषुप्ती मे , प्रत्येक दशा मे   ' हंसः ' * का जप श्वाश क्रिया द्वारा अनायास होता ही रहता है । संकल्प कर देने भर से यह जप मनुष्य द्वारा किया हुआ माना जाता है ।

चरणामृत का महत्व


अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है,
क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की कि चरणामृतका क्या महत्व है,


❋━━► शास्त्रों में कहा गया है

Saturday, May 14, 2016

संस्कृतसामान्यज्ञानम्

☀संस्कृतसामान्यज्ञानम्☀

☀एकादशरुद्राः-
1. महादेवः
2. रूद्रः
3. नीललोहितः
4. विजयः
5. देवदेवः