Saturday, May 21, 2016

आधुनिक विज्ञान एवं सनातन धर्मं

"माँमैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूं। विकास का सिद्धांतचार्ल्स डार्विनआपने उसके बारे में सुना है?" बेटे ने पूछा।
उसकी मां उसके पास बैठी और मुस्कुराकर बोली, “मैं डार्विन के बारे में जानती हूंबेटा। मैं यह भी जानती हूं कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज कीवह वास्तव में भारत के लिए बहुत पुरानी खबर है।


निश्चित रूप से मां!” बेटे ने व्यंग्यपूर्वक कहा।
यदि तुम कुछ  होशियार होतो इसे सुनो,” उसकी मां ने प्रतिकार किया। “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना हैविष्णु के दस अवतार?” बेटे ने सहमति में सिर हिलाया।

तो मैं तुम्हें बताती हूं कि तुम और मि.डार्विन क्या नहीं जानते हैं।
पहला अवतार था मत्स्य अवतारयानि मछली। ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं?” बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा।
उसके बाद आया कूर्म अवतारजिसका अर्थ है कछुआक्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया। उभयचर (ऎम्फिबिअन)। तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया।“ 
तीसरा था वराहजंगली सूअरजिसका मतलब है जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है। तुम उन्हें डायनासोर कहते होसही है?” बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई।
"चौथा अवतार था नृसिंह अवतारआधा मानवआधा पशुजंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास।“ 
पांचवें वामन अवतार थाबौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था। क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों हैक्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थेहोमो इरेक्टस और होमो सेपिअंसऔर होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली।" बेटा देख रहा था कि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी और वह स्तब्ध था।
"छठा अवतार था परशुराम – वेजिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थीवो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था। गुस्सैलताकतवर और विकसित सोच की ओर अग्रसर “
सातवां अवतार था रामसोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्तिजिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।

आठवां अवतार था कृष्णराजनेताराजनीतिज्ञप्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है।

नवां अवतार था बुद्धवे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा। उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की।
और अंत में कल्कि आएगावह मानव जिसपर तुम काम कर रहे हो। वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा।

बेटा अपनी मां को अवाक होकर देखता रहा। “यह अद्भुत है मांआपका दर्शन. वास्तव में अर्थपूर्ण है।
........................
पुराण अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका देखने का नज़रिया ऐसा होना चाहिए – धार्मिक या वैज्ञानिक। जैसा आप कहना चाहें।

No comments:

Post a Comment