मानव शरीर अत्यंत
महत्वपूर्ण और दुर्लभ है । यदि शास्त्र के अनुसार इसका उपयोग किया जाए तो मनुष्य
ब्रह्म को प्राप्त कर सकता है । इसके लिए शास्त्रो मे बहुत से साधन बतलाए गए हैं ।
उनमे सबसे सुगम साधन है- ' अजपाजप
' । इस साधन से पता
चलता है कि जीव पर भगवान की कितनी असीम अनुकंपा है । ' अजपाजप ' का संकल्प कर लेने पर 24 घंटो मे एक क्षण भी व्यर्थ नही हो पाता - चाहे हम जागते
हो , स्वप्न मे हों या सुषुप्ती मे , प्रत्येक दशा मे ' हंसः ' * का जप श्वाश क्रिया द्वारा अनायास
होता ही रहता है । संकल्प कर देने भर से यह जप मनुष्य द्वारा किया हुआ माना जाता
है ।
* हंसः - अग्नि पुराण मे बताया गया है कि श्वाश-प्रश्वाश द्वारा ' हंसः ' , ' सो$हं ' के रूप मे शरीर स्थित ब्रह्म का ही उच्चारण होता रहता है । अतः तत्व वेत्ता इसे ही ' अजपाजप ' कहते हैं ।
मेरे मित्र समूह के सभी सदस्यों से निवेदन है कि वे इस बिना श्रम के ' अजपाजप ' का संकल्प जरूर लें ।
* हंसः - अग्नि पुराण मे बताया गया है कि श्वाश-प्रश्वाश द्वारा ' हंसः ' , ' सो$हं ' के रूप मे शरीर स्थित ब्रह्म का ही उच्चारण होता रहता है । अतः तत्व वेत्ता इसे ही ' अजपाजप ' कहते हैं ।
मेरे मित्र समूह के सभी सदस्यों से निवेदन है कि वे इस बिना श्रम के ' अजपाजप ' का संकल्प जरूर लें ।
यह संकल्प लेने के बाद शौच आदि में जाने पर पाप नहीं लगता??
ReplyDeleteकदापि नहीं
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