Friday, November 18, 2016

पिता सम्बन्धी चिंतन नवम भाव से या दशम भाव से ???



यह प्रश्न बहुत ही महत्व पूर्ण प्रश्न है कि पिता सम्बन्धी फलादेश नवम भाव से किया जाये या दशम भाव से,
बृहत् पराशर होरा-शास्त्र के २०वें अध्याय का चतुर्थ श्लोक है कि :
       भाग्य-स्थानात द्वितीये वा सूखे भौम समन्विते |
       भाग्येशे  नीच  राशिस्थे पिता  निर्धन एव हि ||

Wednesday, November 9, 2016

कुण्डली देखने के मूल नियम



१ – यदि कोई ग्रह किसी लग्न विशेष के लिए योग कारक हो परन्तु दिक् बल से शून्य हो तो ऊँचा फल नहीं कर सकता

२ – जब दो से अधिक ग्रहों का परस्पर सम्बन्ध हो तो कोई एक ग्रह अपनी दशा भुक्ति में उन गुणों कि अभिव्यक्ति करेगा जो उन ग्रहों में सांझे हैं जोकि इसे प्रभावित कर रहे हैं

Tuesday, May 24, 2016

राघवयादवीयम् अनुलोम विलोम

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।

Saturday, May 21, 2016

आधुनिक विज्ञान एवं सनातन धर्मं

"माँमैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूं। विकास का सिद्धांतचार्ल्स डार्विनआपने उसके बारे में सुना है?" बेटे ने पूछा।
उसकी मां उसके पास बैठी और मुस्कुराकर बोली, “मैं डार्विन के बारे में जानती हूंबेटा। मैं यह भी जानती हूं कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज कीवह वास्तव में भारत के लिए बहुत पुरानी खबर है।

विधिरहित यज्ञ शत्रु के समान है


:--
"अन्नहीनो दहेद् राष्ट्रं मन्त्रहीनश्च ऋत्विजः ।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः ।।" (चाणक्य-नीतिः---08.22)
अर्थः----अन्नहीन यज्ञ राष्ट्र कोमन्त्रहीन यज्ञ ऋत्विज् (पुरोहित) को  और दानहीन यज्ञ यजमान को भस्म कर देता है । संसार में (विधिहीन) यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं है ।

भक्त रघु केवट

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महातीर्थ श्री जगन्नाथ पुरी के समीप एक ग्राम पिपलीचटी था । इसी ग्राम में रघु केवट नाम का मछुवारा रहता था , पत्नी तथा वृद्धा माता थीं । परिवार छोटा अवश्य था परंतु गरीबी से परिपूर्ण था दारिद्र जीवन-यापन हो रहा था ।
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रघु केवट पूर्वजन्म के संस्कारों से सहृदय था वह जीवन यापन के लिए मछली पकड़ कर बेचने का जातीय कार्य करता परंतु मछलियों को तड़पते देख कर वह बहुत दुखी होता था । 
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रामायण कथा का एक अंश, , जिससे हमे सीख मिलती है "एहसास" की...


श्री रामलक्ष्मण एवम् सीतामैया चित्रकूट पर्वत की ओर जा रहे थे,
राह बहुत पथरीली और कंटीली थी !
की यकायक श्री राम के चरणों मे कांटा चुभ गया !
श्रीराम रूष्ट या क्रोधित नहीं हुएबल्कि हाथ जोड़कर धरती माता से अनुरोध करने लगे !

अजपाजप

मानव शरीर अत्यंत महत्वपूर्ण और दुर्लभ है । यदि शास्त्र के अनुसार इसका उपयोग किया जाए तो मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त कर सकता है । इसके लिए शास्त्रो मे बहुत से साधन बतलाए गए हैं । उनमे सबसे सुगम साधन है- ' अजपाजप  '  । इस साधन से पता चलता है कि जीव पर भगवान की कितनी असीम अनुकंपा है । ' अजपाजप ' का संकल्प कर लेने पर 24 घंटो मे एक क्षण भी  व्यर्थ नही हो पाता - चाहे हम जागते हो , स्वप्न मे हों या सुषुप्ती मे , प्रत्येक दशा मे   ' हंसः ' * का जप श्वाश क्रिया द्वारा अनायास होता ही रहता है । संकल्प कर देने भर से यह जप मनुष्य द्वारा किया हुआ माना जाता है ।

चरणामृत का महत्व


अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है,
क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की कि चरणामृतका क्या महत्व है,


❋━━► शास्त्रों में कहा गया है

Saturday, May 14, 2016

संस्कृतसामान्यज्ञानम्

☀संस्कृतसामान्यज्ञानम्☀

☀एकादशरुद्राः-
1. महादेवः
2. रूद्रः
3. नीललोहितः
4. विजयः
5. देवदेवः

Friday, April 8, 2016

गंगाष्टकम्

       (श्री शंकराचार्यविरचितम्)

भगवति तव तीरे नीरमात्राशनॊऽहं विगतविषयतृष्णः कृष्णमाराधयामि।
सकलकलुषभङ्गे स्वर्गसोपानसङ्गे तरलतरतरङ्गे देवि गङ्गे प्रसीद॥१॥

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम


अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते 
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

Sunday, January 31, 2016

भक्ति देवी की प्राकट्य होने के प्रारम्भिक लक्षण



1. सबसे पहले आप में हरि गुण , लीला , धाम , रुप को जानने और सुनने की उत्कंठा जाग्रृत होगी।

2. आपको हरि और हरि गुरु कथा में मन लगने लगेगा। 

3. हरि पद संकिर्तन में मन लगने लगेगा। आप काम करते हुये हरि गुण गीत , पद ही गुणगुणाऐगें और ये क्रम बढ़ता जाऐगा ।

Thursday, January 14, 2016

रामायण के प्रमुख पात्र एवं उनका परिचय



मित्रों अवश्य जाने और अपने आसपास सभी को बतायें भी:-

ये जानकारी मैंने मात्र इसलिए साझा की है जिससे आप रामायण को आसानी से और अच्छे से समझ सकें।


दशरथ – रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कोशल प्रदेश के राजा तथा राजधानी एवं निवास अयोध्या।

Wednesday, January 13, 2016

मकर संक्रांति

भारत में लोग वर्षों से मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाते आए हैं, लेकिन बीते दो साल से यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है और इस साल 2016 में भी लगातार तीसरे साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जाएगी। यह अजब संयोग वर्ष 2014 से शुरू हुआ था।

Thursday, January 7, 2016

कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के लिए ?


महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया। कुरुक्षेत्र में युद्ध लड़े जाने का फैसला भगवान श्री कृष्ण का था। लेकिन उन्होंने कुरुक्षेत्र को ही महाभारत युद्ध के लिए क्यों चुना इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है।
जब महाभारत युद्ध होने का निश्चय हो गया तो उसके लिये जमीन तलाश की जाने लगी। श्रीकृष्ण जी बढ़ी हुई असुरता से ग्रसित व्यक्तियों को उस युद्ध के द्वारा नष्ट कराना चाहते थे। पर भय यह था कि यह भाई-भाइयों का, गुरु शिष्य का, सम्बन्धी कुटुम्बियों का युद्ध है।

महाभारत की 10 अनसुनी कहानियाँ




महाभारत की कहानियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, टेलीविज़न पर देखते आ रहे है फिर भी हम सब महाभारत के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते है क्योकि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत बहुत ही बड़ा ग्रंथ है, इसमें एक लाख श्लोक है। आज हम आपको महाभारत की कुछ ऐसी ही कहानियां पढ़ाएंगे  जो आपने शायद पहले कभी नहीं पढ़ी होगी। तो आइये शुरुआत करते है मामा शकुनि से।

Wednesday, January 6, 2016

16 पौराणिक कथाएं – पिता के वीर्य और माता के गर्भ के बिना जन्मे पौराणिक पात्रों की

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मारे हिन्दू धर्म ग्रंथो वाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि में कई ऐसे पात्रों का वर्णन है जिनका जन्म बिना माँ के गर्भ और पिता के वीर्य के हुआ था। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही पौराणिक पात्रो क़े ज़न्म की 16  कहानी बतायेँगे। इनमे से कई पात्रो के ज़न्म मे माँ के गर्भ का कोई योगदान नहीं था तो कुछ पात्रों के ज़न्म में पिता क़े वीर्य का जबकि कुछ मैं दोनो क़ा हीं। -

Tuesday, January 5, 2016

आइये अपने 16 संस्कारों के बारे में जानें ...


॥हरि ओम्॥
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1.गर्भाधान संस्कार - ये सबसे पहला संस्कार है l बच्चे के जन्म से पहले माता -पिता अपने परिवार के साथ गुरुजनों के साथ यज्ञ करते हैं और इश्वर को प्रार्थना करते हैं की उनके घर अच्छे बचे का जन्म हो, पवित्र आत्मा, पुण्यात्मा आये l जीवन की शुरूआत गर्भ से होती है। क्योंकि यहां एक जिन्दग़ी जन्म लेती है। हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे, हमारी आने वाली पीढ़ी अच्छी हो उनमें अच्छे गुण हो और उनका जीवन खुशहाल रहे इसके लिए हम अपनी तरफ से पूरी पूरी कोशिश करते हैं। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि अगर अंकुर शुभ मुहुर्त में हो तो उसका परिणाम भी उत्तम होता है। माता पिता को ध्यान देना चाहिए कि गर्भ धारण शुभ मुहुर्त में हो।

Monday, January 4, 2016

जानिए पौराणिक काल के 24 चर्चित श्राप और उनके पीछे की कहानी


हिन्दू पौराणिक ग्रंथो में अनेको अनेक श्रापों का वर्णन मिलता है। हर श्राप के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर मिलती है। आज हम आपको हिन्दू धर्म ग्रंथो में उल्लेखित 24 ऐसे ही प्रसिद्ध श्राप और उनके पीछे की कहानी बताएँगे।

Saturday, January 2, 2016

स्वप्न फल (Swapna phal)- जानिए 251 सपनों के फल

स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर सपने का एक ख़ास संकेत होता है, एक ख़ास फल होता है।  यहाँ हम आपको 251 सपनो के स्वपन ज्योतिष के अनुसार संभावित फल बता रहे है। .

सपने                        फल

1- आंखों में काजल लगाना- शारीरिक कष्ट होना