Sunday, January 31, 2016

भक्ति देवी की प्राकट्य होने के प्रारम्भिक लक्षण



1. सबसे पहले आप में हरि गुण , लीला , धाम , रुप को जानने और सुनने की उत्कंठा जाग्रृत होगी।

2. आपको हरि और हरि गुरु कथा में मन लगने लगेगा। 

3. हरि पद संकिर्तन में मन लगने लगेगा। आप काम करते हुये हरि गुण गीत , पद ही गुणगुणाऐगें और ये क्रम बढ़ता जाऐगा ।


4. आप बहिर्मुखी से अंतर्मुखी होने लगेंगें ।आप टीवी , सिनेमा और अन्य संसारिक बातो में रुची लेना कम करने लगेगें  और एक दिन बिल्कुल ही इन चीजों मे दिलचस्पी खत्म हो जाऐगी, कोई सुनायेगा जबरदस्ती तो उसको बाहर ही बाहर रहने देंगें ।

5. हमेशा इंतजार रहेगा की कब कोई हरि कथा सुनावे , कहे और सुनने में आनन्द आने लगेगा।

6. आप इंतजार करेंगें की कब संसारी कार्य ऑफिस का या व्यापार का समाप्त हो दिन ढले और एकातं पायें उनको याद करने के लिए, उनको सुनने के लिये ।

7 . निश्चिन्तता , निर्भिकता जीवन में उतरती जाऐगी।

8. सारी चिन्ता परेशानी सुख एवं दु:ख की फिलीगं दुर होती जाएगी। परेशानी दुख भी आप हँसते हुए काट लेंगें ।हरि पल पल आपके साथ हैं महसुस होगा ।

9 फाइवस्टार होटल में भी जाने की इच्छा नही होगी, कहने का मतलब बड़ा से बड़ा संसारिक सुख भी फिका लगने लगेगा ।

10 , केवल वे ही अच्छे लगेंगें जो हरि की बात करे सुनावें , बाकि लोगों से न राग न द्वेश कुछ भी महसुस नही करेंगें ।

11 अहंकार समाप्त होने लगेगा , सबमें प्रभू है चाहे वो कोइ भी हो , ऐसा महसुस होने लगेगा , मान अपमान , भय का एहसास नही होगा ।

12 . सभी का भला हो चाहे वो आपका दोस्त हो चाहे आपको नापसंद करने वाला क्युँ नही :- ऐसी भावना जागने लगेगी ।


13 . दुनिया की चकाचौध आपको नही लुभा पाऐगी।

14.धन दौलत , मकान जमीन पद , प्रतिष्ठा , नौकरी , व्यापार केवल काम का होगा , उससे आसक्ति समाप्त समाप्त होने लगेगी ।आप आपने परिजनो के प्रति फर्ज केवल इस भावना से पुरा करेंगें की ये प्रभु की आज्ञा से ही , उनकी शक्ति से हीं उनके ही बच्चे है सभी ऐसा महसुस करके पुरा करेंगें ।

15 . काम , क्रोध , ईर्ष्या , घृणा , नफरत , राग , द्वेश आदि क्षीण होती जाऐगी।

16 . एकांत मे ज्यादा मन लगने लगेगा,आपका मेमोरी पावर बहुत बढ़ जाऐगा ।

17 . सात्विक खाना ही अच्छा लगेगा वो भी बस केवल शरीर चलाने के लिए जरुरी है ऐसा मान कर , कौस्टली खाने पीने के प्रति उदासिन हो जाऐगें ।

18 . प्रभु की मोहिनी मूर्त निहारने का मन करेगा हर वक्त।

19. आपको प्रकृति , जैसे पेड़ , पहाड़ , झरने , नदियां , फुल आदि मन भाने लगेगा ।

20 . ब्रजधाम , गुरुधाम मन में बस जाएगा मन करेगा बार बार जाऐ ।

21 . पंछी , फुलों में प्रभु का आभास होगा, 

इसके बाद कुछ इस तरह का होगा:-

1. प्रभु को पाने का देखने का प्यास वलवती होती जाऐगी।

2. प्रभु का गुण , लीला , धाम के वारे में सुन कर आँखे भर आऐगी  आँसु आने लगेंगें ।

3. आप केवल उनको ही हर तरफ हर वस्तु में ढुँढने की कोशिश करेंगें  

4. हर समय उनका इंतजार रहेगा की अब वो आऐगें , हमको गले लगाऐंगें।

5. उनका मोहिनी रुप बार बार आँखों के सामने आते रहेगा और आप आँखें खोल कर भी उन्ही के सपनो में खोऐगें रहेगें , ठीक उसी तरह जैसे  एक प्रेमी प्रेमिका एक दुसरे को पाने का सपना लिये इंतजार करता रहते हैं।

इसके बाद गुरु कृपा से कुछ इस तरह के लक्षण प्रकट होंगे:-

1 . जब भी आप एकान्त में होगें या एकान्त साधना में होंगें तो आपको अविरल आँसु आऐगें , गरम गरम आँसु लगातार अपने आप आऐगें , आप नही रोक पाऐगें इनको।

2. स्वर कम्पित होने लगेगा, आप रा बोलेंगे , तो धा नही बोला जाऐगा या बहुत देर लगेगी बोलने में , 

3. गरमी में सर्दी और सर्दी में कभी कभी गरमी का अनुभव होने लगेगा, रोम रोम पुल्कित होने लगेगा।

4 . शरीर हल्का होने लगेगा , शरीर कम्पित होने लगेगा ।

5 . फिर शरीर कड़ा होने लगेगा, शरीर से खुशबुदार पसीना आने लगेगा ।

6 . आपको मुर्छा आने लगेगा ।


जय जय श्री राधे



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