शत्रु संहार के लिए या किसी गुप्त या प्रत्यक्ष शत्रु के किये हुए प्रहार को निष्फल करके उसी पर वापस करने के प्रयोग के लिए माँ बगलामुखी बहुत प्रसिद्ध है ।
माता को पीला रंग प्रिय है । शत्रु इनके सामने नहीं टिक सकते । माता बगलामुखी के मंत्रो का जाप करने के लिए साधक को कड़े नियमो का पालन करना अति आवश्यक है । वैसे तो हर मंत्र का अपना नियम पालन होना जरुरी है क्योंकि नियम से न चलने के कारण मंत्र का दुष्प्रभाव भी सामने आता है । लेकिन बगलामुखी माँ पीताम्बरा के नियम
पालन न होने से बहुत अधिक नुक्सान देखा गया है । सभी मंत्र किसी सक्षम गुरु की देख रेख में ही फलित होने चाहिए ।
माता बगलामुखी के अनुष्ठान की विधि -
जब तक माता बगलामुखी का अनुष्ठान चल रहा हो उतने दिन ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए ।
जप करने के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करें ।
जप करते समय पीले वस्त्र धारण करें ।
जप करने के लिए आसन भी पीले रंग का होना चाहिए ।
माता के अनुष्ठान के साथ भैरव एवं हनुमान के लिए भी मंत्र उच्चारण होने चाहिए ।
अच्छे उद्देश्य से ही अनुष्ठान का अच्छा फल मिलता है क्योकि यदि हमारा उद्देश्य गलत होगा तो माता हमें हमारे गलत कर्मो का फल भी देगी ।
माता को पीला रंग प्रिय है । शत्रु इनके सामने नहीं टिक सकते । माता बगलामुखी के मंत्रो का जाप करने के लिए साधक को कड़े नियमो का पालन करना अति आवश्यक है । वैसे तो हर मंत्र का अपना नियम पालन होना जरुरी है क्योंकि नियम से न चलने के कारण मंत्र का दुष्प्रभाव भी सामने आता है । लेकिन बगलामुखी माँ पीताम्बरा के नियम
पालन न होने से बहुत अधिक नुक्सान देखा गया है । सभी मंत्र किसी सक्षम गुरु की देख रेख में ही फलित होने चाहिए ।
माता बगलामुखी के अनुष्ठान की विधि -
जब तक माता बगलामुखी का अनुष्ठान चल रहा हो उतने दिन ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए ।
जप करने के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करें ।
जप करते समय पीले वस्त्र धारण करें ।
जप करने के लिए आसन भी पीले रंग का होना चाहिए ।
माता के अनुष्ठान के साथ भैरव एवं हनुमान के लिए भी मंत्र उच्चारण होने चाहिए ।
अच्छे उद्देश्य से ही अनुष्ठान का अच्छा फल मिलता है क्योकि यदि हमारा उद्देश्य गलत होगा तो माता हमें हमारे गलत कर्मो का फल भी देगी ।
मध्ये सुधाब्धि – मणिमण्डप – रत्नवेद्यां
सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णां ।
पीताम्बराभरण – माल्य – विभूषिताङ्गीं
देवीं स्मरामि धृत – मुद्गर – वैरिजिह्वाम् ।। १ ।।
सौवर्णासन – संस्थितां त्रिनयनां
पीतांशुकोल्लासिनीं
हेमाभाङ्गरुचिं शशाङ्कमुकुटां सच्चम्पक – स्रग्युताम् ।
हस्तैर्मुद्गर – पाशबद्ध – रसनां संबिभ्रतीं भूषणै
–
र्व्याप्ताङ्गीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तंभिनीं चिन्तये ।। २ ।।
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीम् ।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ।। ३ ।।
ॐ ह्रीं बगलामुखी ! सर्वदुष्टानां वाचं मुखं
पदं स्तम्भय ।
जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।।
ॐ
ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि तन्नः बगला प्रचोदयात् ।
हमारे ब्राह्मणों से पूजन हवन अनुष्ठान
रुद्राभिषेक इत्यादि स्वयं के लिए अथवा अपने प्रियजनों के लिए करवाने के लिए
निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप स्वयं उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
यदि किसी कारण स्वयं उपस्थित न हो सके
तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
1, आपका पता - मकान न०,
गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य
आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया जाएगा)
2, आपका गोत्र ।
3, आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम ।
4, आपका whatsapp नम्बर ।
5, आपकी जन्म कुंडली या जन्म समय, जन्म
तारीख, जन्म स्थान ।
6, आपकी फोटो ।
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