ॐ नमोऽस्तुसर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ।
ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः ।।
अनन्ताद्यान् महाकायान् नानामणिविरजितान् ।
आवाहयाम्यहम् सर्पान् फणासप्तकमण्डितान ।।
वासुकिं
धृतराष्ट्रं च कर्कूटक धनञ्जय ।
तक्षक एरावतो चैव कालिया मणि भद्रको ।।
भुजङ्गमण्डलाधीशं धरणीधरणक्षमम् ।
पातालनायकम् देवं शेशमावाहयाम्यहम् ।।
अनन्तं सर्वनागानामधिपं विश्वरूपिणं ।
जगतां शान्तिकर्तारं मण्डले स्थापयाम्यहम् ।।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं
शङ्खपालं कर्कोटकं कालियां तक्षकं तथा ।
एतानि संस्मरेनित्यं आयुकामार्थ सिद्ध्यते
सर्प दोष क्षयार्थं च पुत्र पौत्रान समृद्धये ।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ।।
नवकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नः नागः प्रचोदयात् ।।
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निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप स्वयं उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
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तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
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गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य
आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया जाएगा)
2, आपका गोत्र ।
3, आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम ।
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5, आपकी जन्म कुंडली या जन्म समय, जन्म
तारीख, जन्म स्थान ।
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