भगवान शिव के अनुष्ठान में रुद्राभिषेक इत्यादि में शिव वास देखना अति आवश्यक कहा जाता है ।
महामृत्युञ्जय इत्यादि के हवन के लिए भी यदि शिव वास देखा जाये तो बहुत उत्तम माना गया है ।
परन्तु विशेष रूप से शिव लिंग तथा शिव मूर्ती की स्थापना एवं प्रतिष्ठा करने के लिए शिव वास देखना कहा गया है ।
भगवान शिव का वास कोन से पक्ष की कोन सी तिथि को किधर होता है और उसका क्या फल है यह हम आपको बताने जा रहे हैं ।
शिव वास की गणना करने की विधि :
नारद जी के अनुसार ---
"तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम ।
सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।।"
जिस तिथि के लिए शिव वास देखना हो उस संख्या को दोगुना करके जो आये उसमे पांच जोड़ें ।
जो संख्या प्राप्त हुई उसको सात से भाग दे दें ।
अब शेष बची हुई संख्या के अनुसार शिव वास को जानें ।
"एकेन वासः कैलाशे द्वितीये गौरी सन्निधौ । तृतीये वृषभारुढ़ः सभायां च चतुष्टये ।
पंचमे भोजने चैव क्रीड़ायां च रसात्मके । श्मशाने सप्तशेषे च शिववासः उदीरितः ।।"
यदि एक शेष बचे तो शिववास कैलाश पर जाने,
दो शेष बचने पर गौरी सानिध्य में,
तीन शेष में वृषभारुढ,
चार में सभामध्य,
पांच में भोजन करते हुए,
छः शेष में क्रीड़ारत और
सात यानी शून्य शेष रहने पर शिव को श्मशान वासी जाने ।
शिव वास कहाँ होने से क्या फल है यह आगे कहा गया है ---
"कैलाशे लभते सौख्यं गौर्या च सुख सम्पदः । वृषभेऽभीष्ट सिद्धिः स्यात् सभायां संतापकारिणी ।
भोजने च भवेत् पीड़ा क्रीडायां कष्टमेव च । श्मशाने मरणं ज्ञेयं फलमेवं विचारयेत् ।।"
अर्थात् कैलाश वासी शिव का अनुष्ठान करने से सुख प्राप्ति होती है ।
गौरी-सानिध्य में रहने पर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होती है ।
वृषारुढ़ शिव की विशेष उपासना से अभीष्ट की सिद्धि होती है ।
सभासद शिव पूजन से संताप होता है ।
भोजन करते हुए शिव की आराधना पीड़ादायी है ।
क्रीड़ारत शिवाराधन भी कष्टकारी है तथा श्मशानवासी शिवाराधन मरण या मरण तुल्य कष्ट देता है ।
उक्त शिववास नियम - विचार के साथ-साथ सामान्य पंचांग-शुद्धि (भद्रादि दोष वर्जना) भी अवश्य देखना चाहिए ।
मुख्यतः सकाम उपासना पूजन के लिए शिव वास या अन्य विचार किया जाता है , यदि निष्काम भाव से शिव आराधना पूजन इत्यादि करना हो तो कभी भी किया जा सकता है ।
किसी प्राचीन तीर्थ स्थान में या ज्योतिर्लिंग में शिवरात्रि प्रदोष आदि में माघ व सावन में बिना शिव वास देखे भी अनुष्ठान कर सकते हैं ।
Shiv Vaas Prediction For 2020-21
94645-32794 |
|||
Date
|
Tithi
Paksh |
Month
|
Shiv Vaas
|
Monday, March 01, 2021
|
कृष्ण द्वितीया
|
फाल्गुन
|
सभा में (कष्ट संताप)
|
Tuesday, March 02, 2021
|
कृष्ण चतुर्थी
|
फाल्गुन
|
कैलाश पर (शुभलाभ सुखप्रद)
|
Wednesday, March 03, 2021
|
कृष्ण पंचमी
|
फाल्गुन
|
बैल पर (ईष्ट कार्य सिद्धि)
|
Thursday, March 04, 2021
|
कृष्ण षष्ठी
|
फाल्गुन
|
भोजन (दुःख दायक)
|
Friday, March 05, 2021
|
कृष्ण सप्तमी
|
फाल्गुन
|
श्मशान (मृत्यु तुल्य कष्टदायक)
|
Saturday, March 06, 2021
|
कृष्ण अष्टमी
|
फाल्गुन
|
गौरी संग (शुभलाभ सुख दायक)
|
Sunday, March 07, 2021
|
कृष्ण नवमी
|
फाल्गुन
|
सभा में (कष्ट संताप)
|
Monday, March 08, 2021
|
कृष्ण दशमी
|
फाल्गुन
|
क्रीड़ा रमण (दुःख दायक)
|
Tuesday, March 09, 2021
|
कृष्ण एकादशी
|
फाल्गुन
|
कैलाश पर (शुभलाभ सुखप्रद)
|
Wednesday, March 10, 2021
|
कृष्ण द्वादशी
|
फाल्गुन
|
बैल पर (ईष्ट कार्य सिद्धि)
|
Thursday, March 11, 2021
|
कृष्ण त्रयोदशी
|
फाल्गुन
|
भोजन (दुःख दायक)
|
Friday, March 12, 2021
|
कृष्ण चतुर्दशी
|
फाल्गुन
|
श्मशान (मृत्यु तुल्य कष्टदायक)
|
Saturday, March 13, 2021
|
अमावस्या
|
फाल्गुन
|
गौरी संग (शुभलाभ सुख दायक)
|
Sunday, March 14, 2021
|
शुक्ल प्रतिपदा
|
फाल्गुन
|
श्मशान (मृत्युतुल्य कष्टदायक)
|
Monday, March 15, 2021
|
शुक्ल द्वितीया
|
फाल्गुन
|
गौरी संग (शुभलाभ सुखदायक)
|
Tuesday, March 16, 2021
|
शुक्ल तृतीया
|
फाल्गुन
|
सभा में (कष्ट संताप)
|
Wednesday, March 17, 2021
|
शुक्ल चतुर्थी
|
फाल्गुन
|
क्रीड़ा रमण (दुःख दायक)
|
Thursday, March 18, 2021
|
शुक्ल पंचमी
|
फाल्गुन
|
कैलाश पर (शुभलाभ सुखप्रद)
|
Friday, March 19, 2021
|
शुक्ल षष्ठी
|
फाल्गुन
|
बैल पर (ईष्ट कार्य सिद्धि)
|
Saturday, March 20, 2021
|
शुक्ल सप्तमी
|
फाल्गुन
|
भोजन (दुःख दायक)
|
Sunday, March 21, 2021
|
शुक्ल सप्तमी
|
फाल्गुन
|
भोजन (दुःख दायक)
|
Monday, March 22, 2021
|
शुक्ल अष्टमी
|
फाल्गुन
|
श्मशान (मृत्यु तुल्य कष्टदायक)
|
Tuesday, March 23, 2021
|
शुक्ल नवमी
|
फाल्गुन
|
गौरी संग (शुभलाभ सुख दायक)
|
Wednesday, March 24, 2021
|
शुक्ल दशमी
|
फाल्गुन
|
सभा में (कष्ट संताप)
|
Thursday, March 25, 2021
|
शुक्ल एकादशी
|
फाल्गुन
|
क्रीड़ा रमण (दुःख दायक)
|
Friday, March 26, 2021
|
शुक्ल द्वादशी
|
फाल्गुन
|
कैलाश पर (शुभलाभ सुखप्रद)
|
Saturday, March 27, 2021
|
शुक्ल चतुर्दशी
|
फाल्गुन
|
भोजन (दुःख दायक)
|
Sunday, March 28, 2021
|
पूर्णिमा
|
फाल्गुन
|
श्मशान (मृत्यु तुल्य कष्टदायक)
|
Monday, March 29, 2021
|
कृष्ण प्रतिपदा
|
चैत्र
|
गौरी संग (शुभलाभ सुख दायक)
|
Tuesday, March 30, 2021
|
कृष्ण द्वितीया
|
चैत्र
|
सभा में (कष्ट संताप)
|
Wednesday, March 31, 2021
|
कृष्ण तृतीया
|
चैत्र
|
क्रीड़ा रमण (दुःख दायक)
|
हमारे ब्राह्मणों से पूजन हवन अनुष्ठान
रुद्राभिषेक इत्यादि स्वयं के लिए अथवा अपने प्रियजनों के लिए करवाने के लिए
निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप स्वयं उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
यदि किसी कारण स्वयं उपस्थित न हो सके
तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
1, आपका पता - मकान न०,
गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य
आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया जाएगा)
2, आपका गोत्र ।
3, आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम ।
4, आपका whatsapp नम्बर ।
5, आपकी जन्म कुंडली या जन्म समय, जन्म
तारीख, जन्म स्थान ।
6, आपकी फोटो ।
Providing Best Astrology Services by Best Astrologers in Patiala, Chandigarh.
Best Pooja Path Service according to Vedic Rituals.
Contact for Marriage Fere and any type of Poojan Hawan etc.
Rudrabhishek, Kaalsarp Shanti, Gandmool shanti, Grah Pravesh, Shop Inaugration
Providing Bhagwat Katha Service and Shiv Puran Katha Service also.
Shiv vas April updates nhi hua hai
ReplyDeleteApril 2021 next wala agnivas
ReplyDelete