अग्नि वास देखने के लिए एक कोष्ठक में शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की तिथियाँ दी गयी हैं तथा एक तरफ से वार दिए गए हैं
दोनों तरफ से मिलाने पर अग्नि वास आसानी से जाना जा सकता है |
दोनों तरफ से मिलाने पर अग्नि वास आसानी से जाना जा सकता है |
यदि अग्नि वास पृथ्वी पर है तो सुखकारक
यदि आकाश में है तो प्राण हानिकारक
यदि पाताल में है तो धनहानि कारक होता है
कब अग्निवास का विचार नही किया जाता -
"विवाह
यात्रा व्रत गोचरेषु , चूडोपविते ग्रहणे युगादौ ;
दुर्ग विधाने च सुत प्रसूतौ ,
नैव अग्निचक्रम परिचिन्तनीयम ;
ग्रहणोद्वाह गण्डान्ते तथा दुर्गोत्सवेऽपि च ;
तदाऽग्नि चक्रं नावलोक्यं ग्रहशान्तौ विचारयेत् ।"
विवाह , यात्रा , व्रत परिपालन मे गोचर ग्रहों के शुभाशुभ फल जानने मे , उपनयन - मुण्डन - ग्रहणकाल , युगादि तिथि मे , दुर्ग की संरचना मे , पुत्रोत्पत्ति काल मे , विवाह मे , ग्रह व गण्ड आदि की शान्ति
मे , दुर्गा उत्सव मे तथा नित्य
नैमित्तिक कार्य मे - अग्निवास का विचार नही किया जाता है ।।
हमारे ब्राह्मणों से पूजन हवन अनुष्ठान
रुद्राभिषेक इत्यादि स्वयं के लिए अथवा अपने प्रियजनों के लिए करवाने के लिए
निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप स्वयं उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
यदि किसी कारण स्वयं उपस्थित न हो सके
तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
1, आपका पता - मकान न०,
गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य
आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया जाएगा)
2, आपका गोत्र ।
3, आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम ।
4, आपका whatsapp नम्बर ।
5, आपकी जन्म कुंडली या जन्म समय, जन्म
तारीख, जन्म स्थान ।
6, आपकी फोटो ।
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