12 राशियों में भ्रमण करने वाले ग्रहों में आत्मा
सूर्य, मन चन्द्रमा, धैर्य मंगल, वाणी बुध, ज्ञान बृहस्पति, वीर्य शुक्र, एवं
संवेदना को शनि का प्रतीक माना गया है।
ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव :-
प्राचीन काल से ज्योतिष विज्ञान सौर मण्डल के
ग्रहों कि गति दिशा एवं स्थिति तथा मानव जीवन पर इनके प्रभाव के बारे में बताता आ
रहा है, पृथ्वी हमारे सौर मण्डल की सदस्या है। यह अनवरत सूर्य की परिक्रमा करती
है। पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है एवं सूर्य से इसमें ताप, तेज़ और प्रकाश प्रदत्त
होते हैं। और शरीर धारियों में प्राण का संचार होता है। सूर्य के सामान अन्य
ग्रहों का भी प्रभाव पृथ्वी तथा पृथ्वी वासियों पर पड़ता है। जो परस्पर ओज़ आदि
प्रदान करते हैं। ज्वार भाटा (High Tide) के बारे में आप जानते ही होंगे, पूर्णिमा
की रात जब चन्द्रमा अपने आकर्षण बल से समुन्द्र के जल में इतनी हलचल उठा सकता है
तो मानव शरीर भी तो पञ्च तत्वों से ही बना है |
ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी के निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या 12 है। इन्हें, मेष, वृष आदि कहते हैं। प्राचीन काल में इनके नाम इनकी विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं, अत: इनका भी पृथ्वी तथा इसके निवासियों पर प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि 30 की होती है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है।
ज्योतिष एक विज्ञान है, जो कि हर सभ्यता को प्रभावित करता
है चाहे भारतीय हो या पाश्चात्य ! सूर्य, चन्द्र एवं हमारे सौर मण्डल के अन्य
ग्रहों का अध्यन ही ज्योतिष है कि कैसे किसी के व्यक्तित्व और स्वभाव को ग्रह
प्रभावित करते हैं।
“ज्योतिष” संस्कृत भाषा का शब्द है, इसका अर्थ होता है
“प्रकाश का ज्ञान”। ज्योतिष वेदान्ग है “ज्योतिषं वेदानां चक्षुः” । वेद के ६ अंग कहे गए हैं - शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष। ज्योतिष विषय वेदों
जितना
ही प्राचीन है।मुहूर्त्त शोधकर किये गये यज्ञादि कार्य फल देते हैं अन्यथा नहीं।
कहा गया है कि-
वेदा हि यज्ञार्थमभिप्रवृत्ताः
कालानुपूर्वा विहिताश्च यज्ञाः।
तस्मादिदं कालविधानशास्त्रं यो ज्यौतिषं
वेद स वेद यज्ञान् ॥ (आर्चज्यौतिषम् ३६)
प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्य खगोलीय
पिण्डों का अध्ययन करने के विषय को ही ज्योतिष कहा गया था। इसके गणित भाग के बारे में तो
बहुत स्पष्टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्पष्ट
गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है।अति
प्राचीन काल से ही इससे उस विद्या का बोध होता रहा है, जिसका संबंध खगोलीय पिंडों, अर्थात्
ग्रहनक्षत्रों, के विवेचन से है।
इसमें खगोलीय पिंडों की स्थिति, उनके गतिशास्त्र तथा उनकी भौतिक
रचना पर विचार किया जाता है।
फलित
ज्योतिष उस विद्या को कहते
हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर,
ग्रहों
और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा
नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या
है।
इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से
फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं।ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी के निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या 12 है। इन्हें, मेष, वृष आदि कहते हैं। प्राचीन काल में इनके नाम इनकी विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं, अत: इनका भी पृथ्वी तथा इसके निवासियों पर प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि 30 की होती है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है।
ज्योतिष (गणित, फलित, प्रश्न एवं
सिद्धांत), कुण्डली मिलान, मुहूर्त्त, होरा, कर्मकाण्ड, श्री राम कथा, श्रीमद्भागवत
महापुराण कथा, श्री शिवपुराण कथा, रुद्राभिषेक, सुन्दरकाण्ड, कालसर्प शांति, महामृत्युंजय जप, दुर्गा पाठ, बगुलामुखी
अनुष्ठान, नवग्रह शांति, विवाह, गृह प्रवेश, हवन यज्ञ
इत्यादि वैदिक नियमानुसार कराने के लिए संपर्क करें ।
हमारे
ब्राह्मणों से पूजा पाठ हवन अनुष्ठान
रुद्राभिषेक इत्यादि स्वयं के लिए अथवा अपने प्रियजनों के लिए करवाने के लिए
निम्नलिखित जानकारी दें ।
(यदि आप खुद उपस्थित हो सकें तो अधिक उत्तम है ।
यदि किसी कारण
स्वयं उपस्थित न हो सके तो निम्नलिखित जानकारी दें ।)
1. आपका पता - मकान न०, गली न०, मोहल्ला,शहर, ज़िला, राज्य आदि । (आपको प्रसाद इसी पते पर भिजवाया
जाएगा)
2. आपका गोत्र ।
3. आपका नाम तथा आपके परिवार के अन्य सदस्यों के
नाम ।
4. आपका whatsapp
नम्बर ।
5. आपकी जन्म कुंडली या जन्मसमय, जन्मतारीख, जन्मस्थान ।
6. आपकी फोटो ।
7. आपको अनुष्ठान का विडियो भी भेजा जायेगा ।
Providing Best Astrology Services by Best Astrologers in Patiala, Chandigarh.
Best Pooja Path Service according to Vedic Rituals.
Contact for Marriage Fere and any type of Poojan Hawan etc.
Providing Bhagwat Katha Service and Shiv Puran Katha Service also.
Best Pooja Path Service according to Vedic Rituals.
Contact for Marriage Fere and any type of Poojan Hawan etc.
Providing Bhagwat Katha Service and Shiv Puran Katha Service also.
No comments:
Post a Comment