यह प्रश्न बहुत ही महत्व
पूर्ण प्रश्न है कि पिता सम्बन्धी फलादेश नवम भाव से किया जाये या दशम भाव से,
बृहत् पराशर होरा-शास्त्र
के २०वें अध्याय का चतुर्थ श्लोक है कि :
भाग्य-स्थानात द्वितीये वा सूखे भौम समन्विते |
भाग्येशे नीच राशिस्थे पिता
निर्धन एव हि ||