Saturday, September 13, 2014

मांगलिक दोष



जब मंगल ग्रह जन्म कुण्डली में 1,4,7,8,12th भाव में हो तो मांगलिक दोष कहा जाता है ।
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गण्डमूल


वैदिक ज्योतिष में २७ नक्षत्र माने जाते हैं

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परिचय


इष्ट देव नागराजा, अपने पिता जी श्री देवेन्द्र प्रसाद सेमवाल जी, गुरु जी श्री दुर्गा प्रसाद भट्ट जी एवं भगवती महामाया की कृपा एवं आशीर्वाद स्वरुप ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे अनुभव हासिल कर रहा हूँ।  पिछली पीढियों से ज्योतिष मुझे विरासत में मिला है।  मुझे गर्व है कि मुझे आदि शक्ति महामाया ने अपनी इस ग्रहों का अध्यन करने की गूढ़ रहस्यमयी विद्या का प्रयोग करने की अनुमति दी। कुण्डली में 12 भाव, 12 राशिया एवं 9 ग्रह होते हैं, ज्योतिषी जातक को अलग अलग भाव का अध्यन करके अलग अलग प्रश्न का उत्तर देता है । ज्योतिष यथार्थ है तथा फलादेश ज्योतिष के गणित ज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान पर नित्भर करता है। ज्योतिष शास्त्र के दो विभाग हैं, गणित विभाग तो केवल शास्त्र अध्यन का विषय है लेकिन फलित विभाग के लिए इष्ट साधना एवं गुरु कृपा आवश्यक है। ज्योतिषी अपने शास्त्र अध्यन, इष्ट साधना एवं गुरु कृपा के बल पर ही फलादेश कर पाने में समर्थ है। आशा करता हूँ कि समाज में ज्योतिष को लेकर जो भ्रांतियाँ फैली हुयी है उनको भी दूर कर सकू ।
मैं ब्लॉगर.कॉम का भी धन्यवाद करना चाहूँगा जिसने मुझे वेब स्पेस दिया, आज इन्टरनेट के माध्यम से किसी भी वस्तु या सेवा तक पहुचना सरल हो गया है। ब्लॉग शुरू करने के दिन मेरा एक लक्ष्य था कि ज्योतिष एवं संस्कृत का प्रचार प्रसार करूँगा। लेकिन समय की न्यूनता के चलते मैं ब्लॉग पर ध्यान नहीं दे पाया, अब जब पूर्ण रूपेण ज्योतिष को समर्पित हो चूका हूँ तो ब्लॉग के जरिये ज्योतिष, कर्मकाण्ड एवं संस्कृत का सही प्रचार प्रसार करना चाहूँगा। दुनिया में विद्या बहुत ज्यादा है लेकिन मनुष्य के पास आयु बहुत कम है सीखने को, इसलिए प्यारे मित्रो मुझे अपने सुझाव देकर समय समय पर कृतार्थ करें । ताकि मैं अपने काम और लक्ष्य में सफल हो सकू ।

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Friday, September 12, 2014

समस्या एवं समाधान





सेहत सम्बन्धी समस्या
क्या आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं? क्या आप बिगड़ती सेहत से परेशान हैं? क्या आप जल्दी बीमार हो जाते हैं? तो आपको उचित अनुभवी समाधान की आवश्यकता है 

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ज्योतिष मूल सिद्धांत



12 राशियों में भ्रमण करने वाले ग्रहों में आत्मा सूर्य, मन चन्द्रमा, धैर्य मंगल, वाणी बुध, ज्ञान बृहस्पति, वीर्य शुक्र, एवं संवेदना को शनि का प्रतीक माना गया है।


ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव :-


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