Friday, November 18, 2016

पिता सम्बन्धी चिंतन नवम भाव से या दशम भाव से ???



यह प्रश्न बहुत ही महत्व पूर्ण प्रश्न है कि पिता सम्बन्धी फलादेश नवम भाव से किया जाये या दशम भाव से,
बृहत् पराशर होरा-शास्त्र के २०वें अध्याय का चतुर्थ श्लोक है कि :
       भाग्य-स्थानात द्वितीये वा सूखे भौम समन्विते |
       भाग्येशे  नीच  राशिस्थे पिता  निर्धन एव हि ||
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Wednesday, November 9, 2016

कुण्डली देखने के मूल नियम



१ – यदि कोई ग्रह किसी लग्न विशेष के लिए योग कारक हो परन्तु दिक् बल से शून्य हो तो ऊँचा फल नहीं कर सकता

२ – जब दो से अधिक ग्रहों का परस्पर सम्बन्ध हो तो कोई एक ग्रह अपनी दशा भुक्ति में उन गुणों कि अभिव्यक्ति करेगा जो उन ग्रहों में सांझे हैं जोकि इसे प्रभावित कर रहे हैं

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